तु और मैं

तेरा बिसरा सा हिस्सा मैं,
मेरी है ज़िंदगानी तू...
मैं एक टूटा किनारा हूँ,
मगर गंगा का पानी तू...
तुम्हारे मेरे किस्से में
अगर है फर्क तो इतना..
तेरी आधी कहानी मैं,
मेरी पूरी कहानी तू..
मैं काला हूँ अमावस सा,
तॊ उजला सा पूनम है तु...
झुर्रियां हूँ बुढ़ापे की मैं तो,
बाँका सा यौवन है तु..
मैं पर्णपाती सा पतझड़ हूँ,
लेकिन नव उदित सा सावन हैं तु..
मैं खंडित हू ओर छोर से,
मगर हृदय सा पावन हैं तु...
सन्यासी हूँ मैं धरा में,
इस धरा का जीवन हैं तु...
मैं द्वार सा हूँ अगर तो
घर के मेरे आंगन हैं तु...
सावन हैं तु, यौवन हैं तु,
मेरा पुरा जीवन हैं तु..
सोचता हूँ इतना तुझ संग
क्युकि मेरा मन हैं तु

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