बुलंदियों का बड़े से बड़ा निशान छुआ, उठाया गोद में माँ ने तब आसमान छुआ ! चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है, मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है ! मेरी ख्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊं, माँ से इस तरह लिपट जाऊं की बच्चा हो जाऊं ! इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है, माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है ! अपनी बाहों में मुझ को समेटे हुए, तन से आँचल की सूरत लपेटे हुए ! गीले बिस्तर पे सर्दी में लेटे हुए, सुबह होने पे कुछ देर सोती है माँ ! ऐसी होती है माँ...! ऐसी होती है माँ...! ऐसी होती है माँ...! मुझ को ग़म हो कोई तो तड़पती है माँ, मेरे दुख दर्द को बस समझती है माँ ! मैं जो हंसता हूँ तो खूब हंसती है माँ, और जो रोने लगूं मैं तो रोती है माँ ! ऐसी होती है माँ...! ऐसी होती है माँ...! ऐसी होती है माँ...! तेरी चाहत हूँ मैं तेरा अरमान हूँ, तू धड़कन मेरी मैं तेरी जान हूँ ! जानती है की मैं कितना नादान हूँ, बस यही सोच कर खूब रोती है माँ ! ऐसी होती है माँ...! ऐसी होती है माँ...! ऐसी होती है माँ...! आसमानों से परियां बुलाती