सुबह बनाम शाम
'ज़िन्दगी' की हर 'सुबह'
कुछ 'शर्तें' लेकर आती है . . .
और -
'ज़िन्दगी' की हर 'शाम'
कुछ 'तज़ुर्बे' देकर जाती है !:)
#ज़िन्दगी
ऐसे जज़्बात जो अनदेखे, अनसुने, अनछुऐ और अधुरे हैं... उनके जज़्बातो को उन्हों की ज़बानी सुनते हैं जिन्हे इसका तजुर्बा हैं। कभी कभी चन्द अल्फ़ाज़ही काफी होते है किसी को अपना हाल-ए-दिल बताने के लिए । कभी कभी दो अल्फ़ाज़वो बात कह जाते है जो शायद कभी आपकी पुरी उम्र य आपका पुरा तजुर्बा नही कह पाता।
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